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बेसिक शिक्षा स्कूलों को बंद करने का प्रस्ताव रद्द करे सरकार

इटावा- अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और उ.प्र. किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने उ.प्र.सरकार द्वारा 27764 परिषदीय/सरकारी स्कूलो को बंद करने के प्रस्ताव को किसान,खेत मजदूर,गरीब विरोधी बताते हुए इसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के भी खिलाफ बताया और इस जनविरोधी प्रस्ताव को तत्काल वापस लेन की मांग की है। मुकुट सिंह ने कहा कि 50 से कम छात्र होना तो एक बहाना मात्र हैं दरअसल यह कारपोरेटपरस्त नीतियों का ही हिस्सा है। स्कूल में 50 से कम छात्र होने के लिये स्वंय सरकार,शिक्षा विभाग और प्रशासन जिम्मेदार है। जबकि बडी संख्या में गरीबो के बच्चे स्कूल का मुंह भी नही देख पाते हे। यह कदम योगी सरकार की जनविरोधी नीतियों को ही दर्शाता है।

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किसान नेता मुकुट सिंह ने आगे कहा कि निजीकरण के कारण दिनोदिन मंहगी हो रही शिक्षा के इस दौर में बेसिक सरकारी स्कूलो,कालेजो को सुट्टण करने और आधुनिक सुविधाये प्रदान कर प्राइवेट स्कूलो से भी बेहतर बनाने की जरूरत है। जैसा केरल की वामपंथी सरकार ने कर दिखाया है। स्कूलो को बंद कर दूरदराज के स्कूलो में विलय से गरीबो,किसानो,मजदूरो की पहुंच से दूर और बच्चे शिक्षा से बंचित रह जायेगे। जिससे अशिक्षा एवं बेरोजगारी और बढेगी। इसका विपरीत असर शिक्षको,रसोइयो की नौकरियो पर भी पडेगा। नयी भर्तियां बंद हो जायेंगी। किसान सभा भाजपा नीति योगी सरकार से पुरजोर मांग करती हैं कि प्राइमरी स्कूल बंद कर अन्य स्कूलों में विलय करने के प्रस्ताव को फौरन रदद करते हुए सरकारी स्कूलो की व्यवस्था और शिक्षा सुविधाओ को आधुनिकीकरण करने के लिये उपयुक्त बजटीय फण्ड बढाने एवं अन्य प्रभावी कदम उठाये जाये।

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